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जनसंख्या नियंत्रण नीति का खुला उल्लंघन चार संतान वाले अधिकारी की सेवा समाप्ति की उठी मांग।

जनसंख्या नियंत्रण नीति का खुला उल्लंघन, चार संतान वाले अधिकारी की सेवा समाप्ति की उठी मांग।

 नियम तोड़ने के बावजूद विभाग बना रहा मूकदर्शक।

सीहोर : मध्यप्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2001 से लागू जनसंख्या नियंत्रण नीति का खुला उल्लंघन सामने आया है। मामला सीहोर सामान्य वनमंडल के लाड़कुई परिक्षेत्र में पदस्थ प्रभारी वन परिक्षेत्र अधिकारी प्रकाश चंद्र उइके से जुड़ा है, जिनकी चार संतानें हैं। इनमें दो संतानें वर्ष 2001 और 2006 में जन्मी हैं, जो सीधे तौर पर नीति का उल्लंघन है।
सूत्रों के अनुसार, संबंधित अधिकारी सेवा में रहते हुए न केवल वेतन, भत्तों और पदोन्नतियों का लाभ उठा रहे हैं, बल्कि विभाग को इस विषय में सूचना होने के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

*नियमों की अनदेखी*
म.प्र. सिविल सेवा (सामान्य शर्तें) नियम 1961 के नियम 6 और म.प्र. सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम 22(4) के अनुसार,यदि कोई अधिकारी 26 जनवरी 2001 के बाद तीसरी संतान का जन्म कराता है, तो वह सेवा में नियुक्ति या पदोन्नति का पात्र नहीं रहेगा।
प्रकाश चंद्र उइके के चार जीवित संतान हैं — जन्म वर्ष क्रमशः 1993, 1995, 2001 और 2006 — जिससे यह स्पष्ट होता है कि उन्होंने सेवा नियमों का उल्लंघन किया है। इसके बावजूद वे 2009 में उप सहायक परिक्षेत्र अधिकारी पद तक पदोन्नत हुए।

*विभाग की चुप्पी पर उठे सवाल*
सूत्र बताते हैं कि यह मामला विभाग के उच्च अधिकारियों के संज्ञान में वर्षों से है, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई। यही नहीं, दक्षिण सिवनी, दमोह और मंदसौर वनमंडलों में इसी प्रकार के मामलों में शासकीय सेवकों को सेवा से पृथक किया जा चुका है, जबकि प्रकाश चंद्र उइके पर अब तक विभाग मेहरबान बना हुआ है।

*शासन तक पहुंचा मामला*
सूत्रों के हवाले से यह भी ज्ञात हुआ है कि यह शिकायत शासन स्तर तक भेजी जा चुकी है। वन विभाग के प्रमुख सचिव, सीसीएफ, पीसीसीएफ सहित संबंधित मंत्री को भी सूचित किया गया है। अब देखना यह है कि क्या शासन इस पर संज्ञान लेकर उचित कार्यवाही करता है या यह मामला भी फाइलों में दफन हो जाएगा।
एक नजर यहाँ भी
 
सेवा क्रमांक: 20669744
पहली संतान: 1993
दूसरी संतान: 1995
तीसरी संतान: 2001
चौथी संतान: 2006
प्रथम नियुक्ति: 1989 (वनरक्षक)
पदोन्नति: 1995 (उप वन परिक्षेत्र अधिकारी), 2009 (उप सहायक परिक्षेत्र अधिकारी)
जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों की मांग, स्थानीय जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और वनकर्मचारियों के एक वर्ग ने इस प्रकरण में त्वरित कार्यवाही की मांग की है। उनका कहना है कि यदि नियमों का पालन केवल कुछ कर्मचारियों तक सीमित रहेगा और कुछ को राजनीतिक संरक्षण मिलेगा, तो यह नीति और शासन दोनों के साथ विश्वासघात होगा।
मध्यप्रदेश की जनसंख्या नीति और सेवा नियमों के उल्लंघन का यह मामला प्रदेश में मिसाल बन सकता है — बशर्ते शासन निष्पक्ष जांच कर कार्यवाही करे। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो यह आगे चलकर शासन की नीति की गंभीरता और विश्वसनीयता पर ही सवाल खड़े करेगा।

BJ-2589 2025-07-12 20:08:26 सीहोर: नसरुल्लागंज
  • जनसंख्या नियंत्रण नीति का खुला उल्लंघन चार संतान वाले अधिकारी की सेवा समाप्ति की उठी मांग।

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