स्कूल प्रबंधन की लापरवाही पर प्रशासन खामोश, कब होगी कड़ी कार्रवाई?
खातेगांव : शिक्षा के मंदिर में बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ का यह मामला पूरे प्रशासनिक तंत्र की उदासीनता को उजागर करता है खातेगांव के न्यू लिटिल फ्लावर हाई स्कूल की घोर लापरवाही के चलते 12 छात्रों की दसवीं बोर्ड परीक्षा छूट गई।
यह केवल एक प्रशासनिक चूक नहीं,बल्कि बच्चों के जीवन से जुड़ा हुआ गंभीर मामला है।घटना के करीब तीन दिन हो चुके हैं,लेकिन जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग अभी भी गहरी नींद में हैं छात्र छात्राए जिन्होंने पूरे वर्ष मेहनत से पढ़ाई की थी,परीक्षा से कुछ घंटे पहले तक अपने एडमिट कार्ड का इंतजार करते रहे,लेकिन स्कूल प्रबंधन की गैर-जिम्मेदाराना हरकत के कारण वे परीक्षा में बैठने से
वंचित रह गए। इस घोर लापरवाही के बावजूद न तो स्कूल की मान्यता रद्द की गई और न ही संचालक के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई हुई। प्रशासन की यह निष्क्रियता यह साबित करती है कि शिक्षा व्यवस्था में गड़बड़ी को लेकर कोई जवाबदेही तय नहीं की जा रही है। बच्चों और उनके अभिभावकों की पीड़ा को नजर अंदाज कर देना सरकार और शिक्षा विभाग की घोर विफलता का परिचायक है। यदि प्रशासन और शिक्षा विभाग समय रहते हरकत में आता तो बच्चों का साल बर्बाद नहीं होता। लेकिन दुर्भाग्यवश, यहां शिक्षा को व्यापार बना दिया गया है, और ऐसे गैर-जिम्मेदार स्कूलों की मनमानी लगातार जारी है। अब सवाल यह उठता है पिछले वर्ष भी इसी स्कूल में इसी प्रकार की लापरवाही हुई थी, जिसके कारण कई छात्र परीक्षा नहीं दे सके थे और उनका पूरा साल बर्बाद हो गया था। बावजूद इसके, प्रशासन ने कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की, जिसके चलते इस वर्ष फिर वही गलती
दोहराई गई। जो बच्चों पिछले साल भी परिक्षा से थे वंचित वह इस बार भी रहे परिक्षा देने वंचित.जब पिछले साल भी ऐसा हुआ था, तो प्रशासन ने स्कूल पर पहले ही कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं की। छात्रों के भविष्य को देखते हुए क्या शिक्षा विभाग विशेष परीक्षा आयोजित करेगा.? क्या संचालक के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज होगा, या फिर यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला जाएगा?. स्कूल की मान्यता तत्काल रद्द होनी चाहिए –ऐसे गैर-जिम्मेदार संस्थानों को शिक्षा देने का कोई हक नहीं है। संचालक और स्कूल प्रशासन पर कानूनी कार्रवाई हो एवं धोखाधड़ी और शैक्षिक लापरवाही के आधार पर संचालक पर FIR दर्ज होनी
चाहिए..शिक्षा विभाग और प्रशासन की जवाबदेही तय होना चाहीए.. संबंधित अधिकारियों पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई होना चाहिए ,ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। प्रशासन की निष्क्रियता इस बात की ओर इशारा करती है कि कहीं न कहीं राजनीतिक दबाव भी इस मामले में काम कर रहा है। सवाल उठता है कि अगर किसी नेता या बड़े अधिकारी के बच्चे होते, तो क्या प्रशासन इतना सुस्त रवैया अपनाता? जनता कब तक चुप रहेगी?..यह समय चुप रहने का नहीं है। यदि प्रशासन निष्क्रिय है, तो जनता को आवाज उठानी होगी। अभिभावकों और सामाजिक संगठनों को इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए ताकी सरकार और शिक्षा विभाग बच्चो के भविष्य के लिए तत्काल कोई ठोस कदम उठाएं
अब भी अगर कार्रवाई नहीं हुई,तो यह केवल 12 बच्चों का मामला नहीं रहेगा,बल्कि यह हमारे पूरे शिक्षा तंत्र के पतन का प्रतीक बन जाएगा। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में कितना सक्रिय रहता है और क्या इन छात्रों को न्याय मिल पाएगा। या पिछले साल कि तरह इस साल भी मामला रफा दफा कर दिया जाएगा
खातेगांव को विकास की नई सौगात, विधायक आशीष शर्मा और नगर परिषद अध्यक्ष सारिका चौधरी ने किया सी.सी. रोड व नाले का लोकार्पण
आमीन मंसूरी ब्यूरो चीफ
खातेगांवः नगर के वार्ड क्रमांक 03 के निवासियों को आज एक बड़ी सौगात मिली, जब विधायक आशीष शर्मा और नगर परिषद अध्यक्ष श्रीमती सारिका चौधरी ने सीसी रोड और आरसीसी नाले का भव्य लोकार्पण किया।इस शुभ अवसर पर जनता का उत्साह देखते ही बनता था। आयोजन की खास बात यह रही कि यह लोकार्पण जनता द्वारा आयोजित किया गया, जहां हर घर पर रंगोली बनाई गई, पुष्प वर्षा कर अतिथियों का भव्य स्वागत किया गया और तुलादान कर सम्मान किया गया।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक आशीष शर्मा थे, जबकि अध्यक्षता नगर परिषद अध्यक्ष श्रीमती सारिका चौधरी ने की। विशेष अतिथियों में भाजपा मंडल अध्यक्ष ललित गुर्जर, वार्ड पार्षद लक्ष्मी गिरी, राम सिंह यादव, ललित बिश्नोई, उमेश गुर्जर, अजय बिश्नोई, शैलेश यादव, गणेश बाबा और वीरेंद्र राजावत मौजूद रहे।
विधायक बोले – जनता से किए हर वादे को निभा रहे हैं, विकास की गंगा बहती रहेगी
अपने संबोधन में विधायक आशीष शर्मा ने कहा, "हमने जनता से सड़क निर्माण का वादा किया था और आज वह पूरा हो रहा है।" उन्होंने बताया कि इस सड़क की मांग लंबे समय से की जा रही थी, लेकिन पीडब्ल्यूडी के अधीन होने के कारण निर्माण कार्य में अड़चनें आ रही थीं। उन्होंने PWD मंत्री से विशेष बातचीत कर निर्माण कार्य को मंजूरी दिलवाई।
उन्होंने आगे कहा, "भाजपा सरकार में विकास कार्य सर्वोच्च प्राथमिकता पर हैं। हमारी सरकार जनता की समस्याओं को गंभीरता से ले रही है और आने वाले समय में खातेगांव की सभी सड़कों का कायाकल्प किया जाएगा।"नगर परिषद अध्यक्ष – खातेगांव को मिलेगा और विकास
..नगर परिषद अध्यक्ष श्रीमती सारिका चौधरी ने कहा कि, "नगर के विभिन्न वार्डों में विकास कार्य तेजी से किए जा रहे हैं। जल्द ही 8 और सड़कों का लोकार्पण किया जाएगा, जिससे नगरवासियों को और राहत मिलेगी।"
नगर परिषद अध्यक्ष प्रतिनिधि नरेंद्र चौधरी ने कहा कि विधायक आशीष शर्मा के अथक प्रयासों से इस क्षेत्र की वर्षों पुरानी समस्या का समाधान हुआ है। उन्होंने जनता को आश्वस्त किया कि आने वाले समय में और भी बड़े विकास कार्य किए जाएंगे।
जनता ने किया भव्य सम्मान, तुलादान कर आभार जताया
इस लोकार्पण समारोह में वार्डवासियों ने विधायक आशीष शर्मा, नगर परिषद अध्यक्ष सारिका चौधरी और वार्ड पार्षद लक्ष्मी गिरी का तुलादान कर भव्य सम्मान किया।
कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाने वाले विशेष अतिथि
इस अवसर पर गायत्री परिवार के सदस्य, भागवत आचार्य कैलाश तिवारी, काशी के विद्वान अशोक उपाध्याय, सीएमओ निखलेश चिंतामण, पत्रकार बंधु और नगर निकाय के अधिकारी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन महामंत्री अशोक यादव ने किया और आभार समाजसेवी अनीता रावत ने व्यक्त किया।
खातेगांव में 1.40 करोड़ की लागत से घटिया नालो का निर्माण, वार्ड पार्षद ने ठेकेदार के भुगतान पर रोक लगाने की मांग की
खातेगांव। नगर के वार्ड क्रमांक 4, 9 और 11 में 1 करोड़ 40 लाख रुपये की लागत से बनाए गए नालों की निर्माण गुणवत्ता को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। जनता के टैक्स के पैसों से बना यह नाला अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। स्थानीय निवासियों ने निर्माण कार्य में घटिया सामग्री के उपयोग और लापरवाही का आरोप लगाया है, जबकि वार्ड क्रमांक 09 पार्षद रुचिका कमल कासलीवाल ने भी नगर परिषद से ठेकेदार के भुगतान पर रोक लगाने की मांग की है।बिना मजबूत आधार, घटिया निर्माण की पोल खुली..वार्डवासियों के अनुसार, नाले के निर्माण में न तो सही से बेस डाला गया और न ही उचित मात्रा में रेत और सीमेंट का उपयोग हुआ। कई जगहों पर गिट्टी और सरिया बाहर झांक रहे हैं। स्थिति इतनी खराब है कि हल्का झटका लगने पर नाले की दीवारें भरभरा कर गिर सकती हैं।सवाल यह उठता है कि जब शुरुआती दौर में ही नाला इतना कमजोर है,तो बारिश के दिनों में यह जल निकासी की जगह गंदगी का अड्डा बन जाएगा। ठेकेदार और प्रशासन की मिलीभगत का आरोप स्थानीय नागरिकों ने आशंका जताई है कि ठेकेदार और नगर परिषद के अधिकारियों की साठगांठ के चलते इस तरह के घटिया निर्माण को अंजाम दिया गया है। कई निवासियों ने संदेह जताया कि कमीशनखोरी के चलते गुणवत्ता से समझौता किया गया और जनता के पैसे की बर्बादी हुई।पार्षद ने ठेकेदार के भुगतान पर रोक लगाने की मांग की।
भाजपा वार्ड पार्षद रुचिका कमल कासलीवाल ने ठेकेदार एस.आर. कंस्ट्रक्शन द्वारा किए गए इस घटिया निर्माण कार्य की निंदा की है और नगर परिषद को ज्ञापन सौंपकर ठेकेदार के भुगतान पर रोक लगाने की मांग की है।
पार्षद प्रति निधि कमल कासलीवाल ने स्पष्ट कहा कि—
"जब तक इस नाले का सही से पुनः निर्माण नहीं किया जाता, तब तक ठेकेदार को कोई भुगतान नहीं किया जाना चाहिए। यदि नगर परिषद ने ठेकेदार को भुगतान कर दिया, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी परिषद की होगी और इसके खिलाफ मैं आगे की रणनीति बनाऊंगा।"
जनता की मांग – उच्च स्तरीय जांच और ठेकेदार पर कार्रवाई होना चाहिए।
स्थानीय नागरिकों और पार्षदों ने इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
जनता चाहती है कि—घटिया निर्माण के लिए जिम्मेदार ठेकेदार पर कार्रवाई की जाना चाहिए। एवं नगर परिषद को निर्माण कार्य की पुनः गुणवत्ता जांच कराई जाना चाहिए।साथ इस ठेकेदार को भविष्य में किसी भी सरकारी ठेके से वंचित किया जाना चाहिए।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर क्या कार्रवाई करता है या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा।
खातेगांव पुलिस की बड़ी कार्रवाई ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले वाहन चालकों पर कसा शिकंजा
आमीन मंसूरी
खातेगांव। जिले में ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए पुलिस द्वारा सख्त अभियान चलाया जा रहा है। पुलिस अधीक्षक पुनीत गहलोद के निर्देश पर जिलेभर में फटाका साइलेंसर लगाने वाले वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे। इसी के तहत अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) हरनारायण बाथम के मार्गदर्शन और अनुविभागीय अधिकारी (पुलिस) आदित्य तिवारी के निर्देशन में थाना प्रभारी विक्रांत झांझोट के नेतृत्व में विशेष पुलिस टीम गठित कर कार्रवाई की गई।
तेज आवाज वाले मॉडिफाइड साइलेंसर पर पुलिस की सख्ती
पुलिस टीम द्वारा विशेष वाहन चेकिंग अभियान चलाया गया, जिसमें तीन बुलेट मोटरसाइकिल पकड़ी गईं। इन बाइकों में मॉडिफाइड साइलेंसर लगे हुए थे, जो पटाखे जैसी तेज आवाज कर रहे थे और ध्वनि प्रदूषण फैला रहे थे।
जब्त किए गए वाहन
1. बुलेट नंबर MP41NE6319
2. बुलेट नंबर MP41NE2798
3. एक बिना रजिस्ट्रेशन नंबर की बुलेटपुलिस ने मौके पर ही इन बुलेट मोटरसाइकिलों के मॉडिफाइड साइलेंसर जब्त कर दिए और वाहन चालकों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की गई।
कानूनी धाराओं के तहत मामला दर्ज
पकड़े गए वाहन चालकों के खिलाफ मोटर व्हीकल एक्ट की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर माननीय जेएमएफसी न्यायालय, खातेगांव में प्रस्तुत किया गया।
पुलिस की चेतावनी नियम तोड़ने वालों पर होगी कड़ी कार्रवाई
थाना प्रभारी विक्रांत झांझोट ने साफ शब्दों में कहा कि मॉडिफाइड साइलेंसर का उपयोग कर तेज आवाज करने वालों पर अब सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे यातायात नियमों का पालन करें और ध्वनि प्रदूषण न फैलाएं।ध्वनि प्रदूषण से हो रहे नुकसान
बीमारियों का खतरा – अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण से हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर और मानसिक तनाव बढ़ सकता है
बच्चों और बुजुर्गों पर प्रभाव – तेज आवाज से छोटे बच्चे और बुजुर्गों को परेशानी होती है
पशु-पक्षियों पर असर – शोर के कारण पक्षी घोंसले छोड़कर उड़ जाते हैं और कई बार दुर्घटनाएं भी हो जाती हैं
नियम तोड़ने वालों के लिए सख्त संदेश
पुलिस ने स्पष्ट कर दिया है कि आगे भी ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले वाहन चालकों के खिलाफ लगातार अभियान जारी रहेगा। जो भी यातायात नियमों का उल्लंघन करेगा, उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
प्रशासन के इस सख्त कदम से आम जनता को राहत मिलेगी और पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी।
अगर आप भी किसी वाहन चालक को तेज आवाज करने वाले मॉडिफाइड साइलेंसर के साथ देखते हैं, तो तुरंत पुलिस को सूचना दें।
खबर का असर: 12 में से 8 छात्रों को मिले एडमिट कार्ड, लेकिन न्याय अभी अधूरा!
खातेगांव – न्यू लिटिल फ्लावर स्कूल की लापरवाही के कारण 10वीं बोर्ड परीक्षा से वंचित हुए 12 छात्रों के भविष्य पर मंडराए संकट के बादल कुछ हद तक छंटते नजर आ रहे हैं। मीडिया और सामाजिक संगठनों द्वारा उठाई गई आवाज़ के बाद प्रशासन ने हरकत में आते हुए 12 में से 8 छात्रों को एडमिट कार्ड जारी करवा दिए। हालांकि, अब भी 4 छात्र परीक्षा से वंचित हैं, जिनका भविष्य अधर में लटका हुआ है।
मीडिया रिपोर्ट्स और राजनैतिक हस्तक्षैप के चलते शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन पर कार्यवाही करने का दबाव बढ़ा।
छात्रों के अभिभावकों ने लगातार प्रशासन से अपील की और स्कूल प्रबंधन की लापरवाही को उजागर किया।
खबर के असर से प्रशासन को मजबूर होकर कार्रवाई करनी पड़ी, जिसके बाद 8 छात्रों के एडमिट कार्ड जारी हुए।
लेकिन क्या यह पर्याप्त है?8 छात्रों को एडमिट कार्ड मिलना राहत की बात है, लेकिन 4 छात्रों को अब भी न्याय नहीं मिला।
सवाल उठता है कि जब 8 छात्रों को एडमिट कार्ड दिए जा सकते हैं, तो बाकी 4 को क्यों नहीं?
जानकारो कि माने तो बचे हुए 4 छात्रों को तुरंत एडमिट कार्ड देना चाहिए या परीक्षा में बैठने की अनुमति देना चाहिए
न्यू लिटिल फ्लाँवर स्कूल की मान्यता रद्द की जाना चाहिए , ताकि भविष्य में कोई और छात्र इस लापरवाही का शिकार न हो।
स्कूल संचालक पर कानूनी कार्रवाई हो, ताकि शिक्षा को व्यापार बना चुके लोगों को सबक मिले।
राज्य शिक्षा विभाग को इस मामले में हस्तक्षेप कर विशेष परीक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि प्रभावित छात्रों का साल बर्बाद न हो।
अब देखना यह होगा कि बचे हुए 4 छात्रों के लिए प्रशासन क्या कदम उठाता है और क्या उनके लिए भी न्याय की राह खुलेगी या फिर यह मामला आधे-अधूरे समाधान के साथ ही शांत कर दिया जाएगा?
खातेगांव के 12 मासूम बच्चों के भविष्य से खिलवाड़
स्कूल प्रबंधन की लापरवाही पर प्रशासन खामोश, कब होगी कड़ी कार्रवाई?
खातेगांव : शिक्षा के मंदिर में बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ का यह मामला पूरे प्रशासनिक तंत्र की उदासीनता को उजागर करता है खातेगांव के न्यू लिटिल फ्लावर हाई स्कूल की घोर लापरवाही के चलते 12 छात्रों की दसवीं बोर्ड परीक्षा छूट गई।
यह केवल एक प्रशासनिक चूक नहीं,बल्कि बच्चों के जीवन से जुड़ा हुआ गंभीर मामला है।घटना के करीब तीन दिन हो चुके हैं,लेकिन जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग अभी भी गहरी नींद में हैं छात्र छात्राए जिन्होंने पूरे वर्ष मेहनत से पढ़ाई की थी,परीक्षा से कुछ घंटे पहले तक अपने एडमिट कार्ड का इंतजार करते रहे,लेकिन स्कूल प्रबंधन की गैर-जिम्मेदाराना हरकत के कारण वे परीक्षा में बैठने से
वंचित रह गए। इस घोर लापरवाही के बावजूद न तो स्कूल की मान्यता रद्द की गई और न ही संचालक के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई हुई। प्रशासन की यह निष्क्रियता यह साबित करती है कि शिक्षा व्यवस्था में गड़बड़ी को लेकर कोई जवाबदेही तय नहीं की जा रही है। बच्चों और उनके अभिभावकों की पीड़ा को नजर अंदाज कर देना सरकार और शिक्षा विभाग की घोर विफलता का परिचायक है। यदि प्रशासन और शिक्षा विभाग समय रहते हरकत में आता तो बच्चों का साल बर्बाद नहीं होता। लेकिन दुर्भाग्यवश, यहां शिक्षा को व्यापार बना दिया गया है, और ऐसे गैर-जिम्मेदार स्कूलों की मनमानी लगातार जारी है। अब सवाल यह उठता है पिछले वर्ष भी इसी स्कूल में इसी प्रकार की लापरवाही हुई थी, जिसके कारण कई छात्र परीक्षा नहीं दे सके थे और उनका पूरा साल बर्बाद हो गया था। बावजूद इसके, प्रशासन ने कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की, जिसके चलते इस वर्ष फिर वही गलती
दोहराई गई। जो बच्चों पिछले साल भी परिक्षा से थे वंचित वह इस बार भी रहे परिक्षा देने वंचित.जब पिछले साल भी ऐसा हुआ था, तो प्रशासन ने स्कूल पर पहले ही कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं की। छात्रों के भविष्य को देखते हुए क्या शिक्षा विभाग विशेष परीक्षा आयोजित करेगा.? क्या संचालक के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज होगा, या फिर यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला जाएगा?. स्कूल की मान्यता तत्काल रद्द होनी चाहिए –ऐसे गैर-जिम्मेदार संस्थानों को शिक्षा देने का कोई हक नहीं है। संचालक और स्कूल प्रशासन पर कानूनी कार्रवाई हो एवं धोखाधड़ी और शैक्षिक लापरवाही के आधार पर संचालक पर FIR दर्ज होनी
चाहिए..शिक्षा विभाग और प्रशासन की जवाबदेही तय होना चाहीए.. संबंधित अधिकारियों पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई होना चाहिए ,ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। प्रशासन की निष्क्रियता इस बात की ओर इशारा करती है कि कहीं न कहीं राजनीतिक दबाव भी इस मामले में काम कर रहा है। सवाल उठता है कि अगर किसी नेता या बड़े अधिकारी के बच्चे होते, तो क्या प्रशासन इतना सुस्त रवैया अपनाता? जनता कब तक चुप रहेगी?..यह समय चुप रहने का नहीं है। यदि प्रशासन निष्क्रिय है, तो जनता को आवाज उठानी होगी। अभिभावकों और सामाजिक संगठनों को इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए ताकी सरकार और शिक्षा विभाग बच्चो के भविष्य के लिए तत्काल कोई ठोस कदम उठाएं
अब भी अगर कार्रवाई नहीं हुई,तो यह केवल 12 बच्चों का मामला नहीं रहेगा,बल्कि यह हमारे पूरे शिक्षा तंत्र के पतन का प्रतीक बन जाएगा। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में कितना सक्रिय रहता है और क्या इन छात्रों को न्याय मिल पाएगा। या पिछले साल कि तरह इस साल भी मामला रफा दफा कर दिया जाएगा